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A**A
एक व्यक्ति,एक बडे़ भाई और एक सच्चे कलाकार की भावनाओं को समझने में यह पुस्तक बहुत सहायक है।
बात लगभग 8 साल पुरानी है। उन दिनों मनोज वाजपेई जी अपने घर बेलवा आये थें। तब बरसात के मौसम की शुरुआत भी हो चुकी थी। मैं अपने घर के बरामदे में बैठा था कि तभी मेरे मोहल्ले के एक व्यक्ति ने आकर सूचना दी कि वाजपेई जी आये हैं चलो उनसे मिला जाए। मेरे घर नरकटियागंज से उनके घर बेलवा की दूरी 7-8 किलोमीटर की है। यह प्रस्ताव सुनते ही मैं तुरंत तैयार हो गया और हम दोनों ट्रेन से उनके गृह स्टेशन अमोलवा पहुंचे। कुछ दुरी पैदल तय करने के बाद जब हम वाजपेई जी के घर पहुंचे तो सच पूछिए जिस स्थान पर वाजपेई जी का घर है वह सच में बहुत ही खूबसूरत स्थान पर है। चारों तरफ हरे-भरे खेत हैं तो पेड़ पर चहचहाती पक्षियों के झुंड है तो घर से कुछ दूरी पर कल-कल बहती नदी है। यह सभी दृश्य मन को मोह लेते हैं। तभी तो वाजपेई जी कहते हैं कि कभी समय मिले तो मेरे गांव-घर जरुर आइएग। हॉं तो जब हम वाजपेई जी के घर पहुंचे तो कमरे बाहर ही खडे़ हो गए। तभी एक सज्जन ने पूछा कि आप किसी उद्देश्य से आये हैं तो हमने भी मिलने के उत्साह से भरे सिर को हिलाते हुए वाजपेई जी से मिलने की बात कह दी। बात कहने भर की देर थी कि तुरंत हम दोनों को मनोज वाजपेई जी के समक्ष जाने की अनुमति मिल गई। मैं पहली बार किसी अभिनेता से मिल रहा था। मैं उन्हें आश्चर्य भरे नज़रों से देख रहा था कि तभी उन्होंने ने बड़ी सहजता एवं स्नेह भरे शब्दों से बिना किसी पूर्व परिचय के कहा " आप कैसे हैं"। इस शब्द ने मुझे बहुत प्रभावित किया और मैं अगले दिन अपने पिता जी, बड़े भाई एवं दोनों छोटी भतिजियों को लेकर फिर से उनसे मिलने चल पड़ा और कई तस्वीरें भी उनके साथ खिंचवाई। मनोज वाजपेई जी से मिलकर मुझे यही महसूस हुआ कि ये व्यक्ति जितना रंगमंच और पर्दे पर एक बेहतरीन अभिनेता हैं असल जीवन में भी बहुत सुलझे , मृदु भाषी एवं श्रेष्ठ व्यक्तित्व के भी धनी हैं। पीयूष पांडे जी ने जिस तरह से मनोज वाजपेई जी के जीवनी कि व्याख्या की है उसके लिए उन्हें बहुत बहुत धन्यवाद।
A**I
अच्छी किताब
बेशक इसे पढ़कर आप मनोज बाजपेयी जी का जीवन समझ समझ सकते हैं, परन्तु किसी का जीवन समझने में और व्यक्ति विशेष को समझने के बीच में जो एक अंतर है वह यहां कायम रहता है।
S**
Struggle
I like this book.best inspiration book.
S**H
Aasaan shabdo me likhi gai sangrash aur safaltao ki book
Ek aisi kitaab jise padhte hue aap kab bhavuk ho jate h, kab andar se khush ho jate h pata nahi chalta. Pata hi nahi chalta ki ye likhai ki tarif h ya Manoj Bajpayee Sir ki jivani ki. Unki kahani padhne ke bad unki har safalta asafalta apni lagti h. Ye koi propaganda book nahi h jise Manoj Sir ki tarif ke liye likha gaya h. Ye kitaab shayad uss pidhi ke bache khuche logo ke liye h jo Manoj Bajpayee Sir k sampark me nahi aye the chahe vo sampark filmo ke jariye tha ye personal level pe. Ye kitaab mere jaise logo ke liye h.
A**H
किसी फिल्म अभिनेता पर अब तक की लिखी सबसे शानदार किताब।
सबसे पहले इस किताब के लिए पीयूष पांडेय जी को ढेर सारी बधाई।इस किताब को पढ़ते वक़्त ऐसा लगा जैसे कोई फिल्म चल रही हो ।मनोज के जीवन की तमाम घटनाओं को जिस तरह से पियूष जी ने पिरोया है उसका कोई सानी नहीं। इस किताब का हर एक पन्ना लिखने से पहले साफ़ लगता है की पियूष जी ने सघन रिसर्च की है। मनोज का बचपन, कॉलेज का संघर्ष और परिवार का चित्रण बेहद उम्दा तरीके लिपिबद्ध किया गया है। किताब की लेखनी, शब्दों का चयन इतना अच्छा है की एक बार अगर आप इस किताब को पढ़ना शुरू कर दें तो बिना ख़त्म किये नहीं मानेंगे। ये किताब सिर्फ एक अभिनेता के संघर्ष को नहीं बताती बल्कि आज के युवाओं को प्रेरणा भी देती है। पीयूष जी ऐसी और शानदार किताबों का इंतज़ार रहेगा। आखिर में सिर्फ इतना की....वीर भोग्य वसुंधरा।
K**D
सच्ची मजेदार गाथा
बहुत अच्छी aur सच्ची kitab है४० और ६० वर्ष के बीच के उम्र ke लोगजो दिल्ली और मुंबई से परिचित हैं फिल्मो के शौकीन हैंउन्हे बहुत आनंद आयेगामनोज बाजपेयी एक सशक्त अभिनेता हैंऔर बहुत अच्छे इंशान भी
R**L
Realistic Profile
Very painstakingly done research. Detailed description of Bajpayee’s struggle, professional journey and achievements make it an interesting read. His detailed interview in the book could have been cherry on the cake.
A**R
हिंदी सिनेमा में रुचि रखने वालों के लिए आज के दौर की सबसे शानदार बायोग्राफी
हिंदी सिनेमा और मनोज वाजपेई के आर्ट को पसंद करने वाले हर सिनेमाप्रेमी के लिए ये किताब Must है। मनोज बाजपेयी के जीवन के अलग अलग पड़ाव और अनछुए पहलू शानदार किस्सागोई में पिरोए गए हैं। सोने पर सुहागा ये कि पीयूष जी ने अपने पत्रकारिता के अनुभव का भरपूर इस्तेमाल करते हुए मनोज वाजपेई के जीवन को सिर्फ एक अभिनेता तक लिमिट नहीं किया है.. बल्कि बिहार से दिल्ली और दिल्ली से मुंबई और मुंबई से इंटरनेशनल मंच तक अपना नाम बनाने के मनोज वाजपेई के संघर्ष को एक आम इंसान से जोड़ा है। कोई हैरानी की बात नहीं अगर भविष्य में इस किताब पर फिल्म या वेबसीरीज बनती हुई दिखाई दे। इस बायोग्राफी की एक खास बात मुझे वो तस्वीरें भी लगी जो मनोज वाजपेयी के पुराने दिनों की हैं.. जो इससे पहले कहीं और नहीं दिखी.. खासतौर पर उनका पुश्तैनी घर, परिवार से साथ बिताए पल और यारों के साथ शूटिंग के हंसी-ठिठोली वाले पल। भाषा, कहानी का फ्लो और रिसर्च के आधार पर ये आगे लिखी जाने वाली बायोग्राफीज़ के लिए नया बेंचमार्क साबित होगी।
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